बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम: अपने बच्चों के आँखों पर स्क्रीन टाइम का प्रभाव क्या है?

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बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम: अपने बच्चों के आँखों पर स्क्रीन टाइम का प्रभाव क्या है?

आपके बच्चों की भलाई और सफलता के बारे में आपसे ज्यादा परवाह शायद ही किसी को होगी। आज के डिजिटल समय में, हमें न केवल वास्तविक दुनिया के लिए बल्कि आभासी दुनिया के लिए भी उनका मार्गदर्शन करने की आवश्यकता है। इसलिए, अपने बच्चों को सभी डिजिटल माध्यमों को उपयोग करने का सही और स्वस्थ तरीका सिखाना महत्वपूर्ण हो जाता है।

जगह कोई भी हो, घर, काम, शॉपिंग मॉल, घर के अंदर या बाहर, हमारी आंखें आमतौर पर किसी न किसी तरह के डिजिटल माध्यम के संपर्क में रहती हैं। स्क्रीन सर्वव्यापी है, जहाँ भी आप देख सकें,आप स्क्रीन को बेशक पाएंगे। बच्चे भी इस स्थिति से अनजान नहीं है। 2020 में, रिपोर्ट के अनुसार किशोर और युवा अवस्था के लोगो का औसत स्क्रीन समय पांच से छह घंटे का था। साथ ही साथ, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार बच्चों के लिए औसत स्क्रीन समय उस आंकड़े के करीब आ गया- जो 2 घंटे से भी अधिक था।

लेकिन ये उपकरण हमारे लिए समस्या क्यों है? दो महत्वपूर्ण बातें हमारे ध्यान रखने योग्य है

  1. स्क्रीन पर बिताया गया समय और
  2. स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी

*ब्लू लाइट एक समस्या क्यों है?*

कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन प्रकाश के व्यापक स्पेक्ट्रम का उत्सर्जन करते हैं। इनमें से कुछ प्रकाश-किरणों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है। ऐसे उच्च-ऊर्जा द्रश्य प्रकाश को “नीला-प्रकाश” कहा जाता है।

लेकिन लंबे समय तक नीली रोशनी के संपर्क में रहना एक समस्या क्यों है?

इसका सीधा संबंध हमारे संवेदनशील रेटिना से है। नीली रोशनी रेटिना में प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। इस क्षति के प्रभाव धब्बेदार अध: पतन के प्रभाव के समान हैं यानी रेटिना को क्षति होने लगती है । बच्चों के लिए बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम हानिकारक हो सकता है।

*नीली रोशनी कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है। *

आंखों की थकान: जब हमारी आंखें लंबे समय तक उपकरणों के संपर्क में रहती हैं और पढ़ने या देखने का काम करती है, तो आंखों के आसपास की मांसपेशियां बार-बार के इस्तेमाल से थक सकती हैं। लंबे समय तक एक्सपोजर एकाग्रता को प्रभावित कर सकता है और सिरदर्द का कारण बन सकता है। स्क्रीन के सामने बहुत देर तक बैठने से आँखें थक सकती है|

आंखों में जलन व सूखापन: किसी भी स्क्रीन पर अपना ध्यान केंद्रित करने वाले व्यक्ति काफी कम पलक झपकाते हैं। इसी प्रकार जब बच्चे अपने उपकरणों द्वारा पढ़ते या खेलते हैं, तो उनकी पलक झपकने की दर करीब आधी हो जाती है। समय के साथ, वे आँखों में सूखापन का अनुभव कर सकते हैं क्योंकि उनकी आँखों का पानी धीरे-धीरे उड़ जाता है और आँखों को पर्याप्त स्नेहन नहीं मिल पाता है।

धुंधली द्रष्टि : बहुत देर तक स्क्रीन को देखते रहने से आपके बच्चों में मायोपिया या ऐंठन विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। जब कोई स्क्रीन में देखता है, तो आंखें नज़दीक के वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं। अनुकूल ऐंठन जैसी स्थिति में, किसी भी चीज़ से दूर देखने के बाद भी आंखें ध्यान केंद्रित करती रहती हैं। इससे धुंधली द्रष्टि, सिरदर्द, आंखों में खिंचाव और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।

नींद न आने की समस्या/अनिंद्रा: नींद की कमी और स्क्रीन टाइम के बीच संबंध है। उत्सर्जित नीली रोशनी आपकी स्लीप साइकिल (नींद चक्र) को बाधित कर सकती है; यह नींद के हार्मोन मेलाटोनिन की रिहाई को रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप दिन के दौरान कम एकाग्रता होती है।

कुछ पेरेंटिंग निर्देश आपको नियम स्थापित करने और घर पर तकनीकी सद्भाव बनाए रखने में मदद कर सकते है:

  • स्क्रीन टाइम के दौरान छोटे बच्चों के साथ मौजूद रहें
  • स्क्रीन का उपयोग करने के तरीके में बदलाव करें
  • अपने बच्चों के लिए दिन भर में मनोरंजक गतिविधियाँ शेड्यूल करें
  • दैनिक स्क्रीन समय की एक सीमा निर्धारित करें और सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे इन सीमाओं का पालन करें
  • कुछ क्षेत्रों को "नो-स्क्रीन" ज़ोन के रूप में सेट करें

जब डिजिटल माध्यमों को संयम में उपयोग किया जाता है, तो यह सीखने को सुविधाजनक बना सकता है, बच्चे सहयोग कर सकते हैं और एक-दूसरे से सीख सकते हैं और माता-पिता अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम यानि खास पल बिता सकते हैं।

बच्चों के लिए नियम और स्क्रीन समय सीमा होने से, आप सुरक्षित और शैक्षिक अनुभव बना सकते हैं जो आपके बच्चों के मस्तिष्क और आंखों के लिए अच्छे हैं। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की गाइड में उम्र के हिसाब से स्क्रीन टाइम की सिफारिशों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।

यदि आपको अपने बच्चों में कोई भी समस्या नज़र आये जैसे की धुंधला दिखना, आँखों में से पानी आना, आँख दुखना या अनिद्रा महसूस होना, तो तुरंत जांच कराएं। एम.एम चोकशी आई हॉस्पिटल, वडोदरा आएं और अपने बच्चों की आँखों का जांच कराएँ।

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